देवताओं को उपदेश देना - शिव पुराण : श्रीरुद्र संहिता- अध्याय 12
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नारद जी और ब्रह्माजी का संवाद
नारद जी, जो हमेशा शिव भक्ति में रमे रहते हैं, ब्रह्माजी से भगवान शिव की महिमा सुनने की प्रार्थना करते हैं। ब्रह्माजी ने नारद जी को बताया कि कैसे एक बार सभी देवता और ऋषि क्षीरसागर तट पर भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उनसे दुखों को दूर करने का उपाय पूछा।
भगवान विष्णु ने उन्हें बताया कि सभी समस्याओं का समाधान केवल भगवान शिव हैं। उनकी भक्ति से ही मनुष्य के सभी कष्ट दूर होते हैं। शिवलिंग की पूजा से मनुष्य को भौतिक और आध्यात्मिक सुखों की प्राप्ति होती है, और अंत में मोक्ष का मार्ग खुलता है।
भगवान विष्णु द्वारा शिवलिंग की स्थापना
भगवान विष्णु ने देवताओं को शिवलिंग की पूजा का महत्व बताया और विश्वकर्मा को सभी देवताओं के लिए विशेष शिवलिंग बनाने का आदेश दिया। इन शिवलिंगों को देवताओं को सौंपा गया—
- इंद्र को पद्मराग मणि का लिंग।
- कुबेर को स्वर्ण का।
- धर्मराज को पुन्नाग का।
- विष्णु को इंद्रनील मणि का।
- ब्रह्माजी को हेमद्रव का।
और इसी प्रकार अन्य देवताओं और ऋषियों को उनके अनुसार शिवलिंग प्रदान किए गए।
शिव पूजा का महत्व
भगवान विष्णु ने कहा कि शिवलिंग की पूजा न केवल मनोकामनाएं पूर्ण करती है, बल्कि जन्म-जन्मांतर के पापों को भी नष्ट करती है। जैसे वृक्ष की जड़ में पानी डालने से उसकी सभी शाखाएं तृप्त हो जाती हैं, वैसे ही शिवलिंग की पूजा से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
ब्रह्माजी ने भी शिव पूजा की विधि और भक्ति का महत्व समझाया। उन्होंने कहा कि—
- शिव भक्ति से शरीर, मन, और आत्मा की शुद्धि होती है।
- यह मनुष्य को अज्ञान और माया के बंधनों से मुक्त कर, शिवत्व प्रदान करती है।
शिव की भक्ति: सुख और मोक्ष का साधन
श्रोताओं, यह कथा हमें सिखाती है कि मनुष्य जीवन अत्यंत दुर्लभ है और इसे व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए। भगवान शिव की भक्ति से हमें जीवन में संतोष, धन, संतान, स्वास्थ्य, प्रतिष्ठा, और अंततः मोक्ष प्राप्त होता है।
हर भक्त को अपनी सामर्थ्य के अनुसार पूजा, दान, और ध्यान करना चाहिए। भगवान शिव सदा अपने भक्तों के निकट रहते हैं और उनकी हर पुकार का उत्तर देते हैं।
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